Ram Kumar was a prolific painter and a passionate writer,
with a creative career spanning over seven decades since he gave up his job at
a bank to learn art under Sailoz Mukherjee at Sharda Ukil School of Art in
1948. Born into large family in Shimla, Ram Kumar initially pursued his MA in
Economics from St. Stephen’s College in Delhi. However soon after his
introduction to art, in 1949 he borrowed money from his father and travelled to
Paris to study art with the support of a French Embassy scholarship.
Sunday, April 22, 2018
Thursday, December 28, 2017
आधुनिक कला प्रवृतियों को कसौटी पर कसतीं बिहार की लोककलाएं
सुनील
कुमार
पत्रकार एवं कला शोधार्थी
मिथिला चित्रकला, मंजूषा चित्रकला और अन्य सभी हस्तशिल्प परंपराएं समूह की अवधारणा पर आधारित हमारी लोक कला परंपराएं हैं और समाज की रुचि, कल्पना और संघर्ष की अभिव्यक्ति के सबसे पुराने माध्यम भी। इन अभिव्यक्तियों का शिल्प और उसका स्वरूप समय के साथ-साथ बदलता रहा है। बदलाव के इस क्रम में कई बार यह प्रतीत होता है कि हमारी लोककलाओं की धार कुंद हो रही है, लेकिन यह लोक ही है, जो अपनी कला-संस्कृति की रक्षा हेतु तत्पर रहता है, बशर्ते उन्हें उचित प्रोत्साहन मिले, सहयोग मिले।
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