पटना आर्ट कॉलेज में छात्रों के चल रहे विरोध-प्रदर्शन पर बिहार के वरिष्ठ कलाकारों की चुप्पी को लेकर कॉलेज के पूर्व छात्र सुमन सिंह की बेबाक टिप्पणी... (फेसबुक वॉल से साभार)
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सुमन सिंह
कलाकार एवं कला समीक्षक
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अपने पूरे होशोहवास
में मैं घोषणा करता हूं कि अगर कलाकार होने का मतलब है अपने समुदाय और समाज के साथ हो रहे बर्बरतापूर्ण
व्यवहार के बावजूद चुप्पी साधे रहना, तो मैं कलाकार नहीं हूं। ऐसे में जब जिस
महाविद्यालय से मैंने कला की शिक्षा ली,
वह बंदी के कगार पर
हो,
वहां पढ़ने वाले छात्र अपनी कक्षा के बजाय सड़कों
पर हों, तब मैं अपने को कलाकार कहलाने का भ्रम पाले रहना नहीं चाहता हूं।
अगर कलाकार होने का
मायने है कि किसी पचड़े में ना पड़ने
का नाटक करना और सत्ता के इर्द-गिर्द चक्कर काटना, सरकारी पैसे से सिंहावलोकन जैसी अपनी प्रदर्शनियां आयोजित
करना-कराना, तो भी मैं कलाकार नहीं हूं। अगर छात्रों की जायज मांगों पर पहले तो
मौन साधे रहना और उनपर लाठियां और गोलियां चलने के बाद यह कहना कि यह आंदोलन अब
राजनैतिक रूप ले रहा है और
मुझे राजनीति पसंद नहीं है, तो यकीन मानिए कि मैं और कुछ भी हूं लेकिन आपकी तरह का
कलाकार तो कत्तई नहीं हूं।
छात्रों से यह अपेक्षा करना
कि वे सिर्फ भीड़ की शक्ल में आपके कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाएं
और सरकारी पैसे की माला से लदी हुई आपकी गर्दन गर्व से तनी
रहे,
इस अहसास के साथ कि सदी का सबसे महान कलाकार आप ही हो। ऐसे
में तो फिर मुबारक हो आप सभी को कलाकार कहलाना और सिर्फ सरकारी राशि के बंदरबांट
में शामिल रहना, क्योंकि मैं आप सबों की तरह कलाकार नहीं हूं और ना कभी कहलाना
चाहूंगा।
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